पानी केवल प्रयासों से मिलेगा, बातों से नहीं। पानी किसी चुनाव का अजेंडा नहीं हो सकता क्योंकि पानी सरकार या जनप्रतिनिधि नहीं बनाते, उसके लिए जमीनी और जनसामान्य के प्रयास महत्वपूर्ण हैं। जमीन में पानी की फसल लगाओगे तो ही वो हमारे चेहरों पर लहलहाती नज़र आएगी। एक दिन का शोर हमें केवल याद दिलाता है कि हमें क्या करना है लेकिन जरूरी ये है कि हम हर पल याद रखें कि पानी केवल हमारी मेहनत मांगता है, हवाई बातें नहीं...। सच केवल इतना है कि हमें पानी को जीवन में कर्म का हिस्सा बनाना होगा...। हम अब तक केवल पानी को उथले तौर पर जी रहे हैं, वो नहीं मिलेगा, पानी पर पानीदार होना होगा, वरना पीढियां सूख जाएंगी और बेबस से कसूरवार से खड़े होंगे..।
9 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ" (चर्चा अंक 4015) पर भी होगी।
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मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार बहुत आभार आदरणीय।
ReplyDeleteसबके पानी तो उतर गए . सार्थक बात ..
ReplyDeleteआभार बहुत आभार
ReplyDeleteसार्थक लेख संदीप जी 👌👌। पानी बिन पीढियाँ बचेंगी तोही खड़ी होंगी ना!! बिन जल सब सून!!!
ReplyDeleteबहुत आभार आपका रेणु जी...। पानी पर गहन और गंभीर होना होगा। पानी पर राजनीति तो कतई सहन नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक लेख ।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका
Deleteबिलकुल सही कहा आपने
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