प्रकृति बहुत ही गहन सबक अपने में संजोए है, वो सांझ के दौरान तपस्वी की आभा देती है, हम समझें तो बहुत साफ है कि सांझ जीवन का सत्य है लेकिन सुबह एक भरोसा है। जिंदगी कभी नहीं थमती, वो निरंतर बढ़ती जाती है। कुछ बहुत पुराने पेड़ कभी हल्की हवा में उखड़ जाते हैं, कुछ छोटे पेड़ आंधी भी सह जाते हैं ---आशय ये है कि सांझ में शरीर दुर्बल हो जाता है लेकिन आत्मा और मन मजबूत हो जाते हैं। एक समय आता है जब सांझ में हमें अपना वो अपना ईश्वर बहुत करीब नज़र आने लगता है ---।
4 Comments
बहुत ही सुंदर लिखा क्या बात है, शीर्षक शानदार, हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteज्योति जी सुप्रभात...। आभार
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ReplyDeleteबहुत सार्थक और सुन्दर।
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