- अलर्ट वाले दिन रहे सचेत

भूकंप दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है, देश में अब तक आए बडे़ भकूंप मानव बुरे स्वप्न की भांति ही हैं, उन्हें कोई याद नहीं रखना चाहता। देश के अनेक हिस्से हैं जिन्हें भूकंप के डेंजर जोन में रखा गया है और भूगर्भीय हलचलों और कंपन आए दिन भयभीत कर रहा है, भूकंप को लेकर सच यह है कि तकनीकी तौर पर केवल उसके आने की भविष्यवाणी तो हम पा रहे हैं लेकिन उसका समय क्या होगा और भूकंप के आने से लेकर हमारी सतर्कता और बचाव में कितना समय मिलेगा यह सबकुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन यह अवश्य माना जा सकता है कि पूर्व के वर्षो की तुलना में हम भूगर्भीय हलचल की सूचना में बेहतर हुए हैं लेकिन पूरी तरह से हम परिपक्व सिस्टम बना पाए हैं ऐसा नहीं कहा जा सकता है। 

देश का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है 

भारत के कुछ हिस्से हैं जिन्हें डेंजर जोन में शामिल किया है लेकिन हकीकत यह भी है खतरे की जद में देश के बहुत बड़ा हिस्सा आता है। भारत में हर साल हल्के और मध्यम दर्जे के भूकंप आते रहते हैं लेकिन उनका आना और धरती में कंपन होना भी चिंता का विषय है। भारतीय मानक ब्यूरो ने देश को पांच भूकंप जोन में बांटा है. देश का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है. देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना माना जाता है. इस जोन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही की आशंका सबसे ज्यादा बनी रहती है। जो सबसे अधिक डेंजर जोन में आ रहा है अर्थात पांचवां जोन इसमें देश के कुल भूखंड का 11 फीसदी हिस्सा आता है। चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है। यहां ये भी देख लें कि किस जोन में राज्य या उनका कौन सा इलाका आता है। 

भूकंप ने हमेशा ही मानव जीवन तहस नहस किया है 

पर्यावरण खतरे समय के साथ-साथ बढ़ते जा रहे हैं, उन्हें समझना होगा, भूकंप जब जब आए हैं तब तब मानव जीवन बुरी तरह तरस-नहस हो गया है। अब तक सभी भूकंप इस बात की गवाही भी हैं कि सबसे अधिक श्रेष्ठ प्रकृति है और उसके साथ छेड़छाड़ हमेशा बहुत भारी पड सकती है। सबसे ज्यादा खतरनाक जोन पांचवां है, इस जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल है। चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली,  सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है. तीसरे जोन में केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़. महाराष्ट्र, ओडिशा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका आता है। जोन-2 में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा। ऐसा माना जाता है कि पहले जोन में कोई खतरा नहीं होता। 

प्रमुख भूकंपों की सूची

- अप्रैल 26, 2015- उत्तर भारत, उत्तर पूर्व भारत-  (केंद्र कोडारी, नेपाल से 17 किमी दक्षिण)

- अप्रैल 25, 2015- उत्तर भारत-  नेपाल् से 49 किमी पूर्व ) 

- अप्रैल 25, 2015- उत्तर भारत, उत्तर पूर्व भारत- केन्द्र- लमजुङ नेपाल से 34 ाउ पूर्व . पूर्वी, उत्तरी, उत्तर-पूर्वी भारत और गुजरात के कुछ हिस्सों में महसूस किया 

- मार्च 21, 2014- अन्दमान एवं निकोबार द्वीप - अन्दमान द्वीप समूह में मध्यम भूकंप 

- अप्रैल 25, 2012- अन्दमान और निकोबार- अन्दमान और निकोबार में बड़ा भूकंप

- सितम्बर 18, 2011- गान्तोक, सिक्किम- पूर्वोत्तर भारत में शक्तिशाली भूकंप, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ और जयपुर झटके महसूस किए गए

- अगस्त 10, 2009- अन्दमान- सुनामी की चेतावनी जारी की गई 

- अक्टूबर 08, 2005- कश्मीर- इस्लामावाद से उत्तर पूर्व, श्रीनगर, काँगरा, जम्मू और कश्मीर, भारत

- दिसम्बर 26, 2004- उत्तरी सुमात्रा का पश्चिमी तट भारत श्रीलंका मालदीव- दुनिया के इतिहास में तीसरा सबसे भीषण भूकंप, भारत में सुनामी 15,000 लोग मारे गए 

- जनवरी 26, 2001- गुजरात- गुजरात भूकंप, हजारों मारे गए 

- अगस्त 20, 1988- भारत नेपाल सीमा 

- अगस्त 15, 1950- अरुणाचल प्रदेश- आजादी के बाद से मुख्य भूमि भारत में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप। 

- जनवरी 15, 1934- नेपाल- मुख्य भूमि भारतीय उपमहाद्वीप में दर्ज किया गया सबसे बड़ा भूकंप।

- अप्रैल 04, 1905- हिमाचल प्रदेश- यह कांगड़ा घाटी में आया एक बड़ा भूकंप

- इसके अलावा भी भकूंप आए हैं और उन्होंने मानव जाति को बुरी तरह प्रभावित किया है।

(विकिपीडिया से साभार)  

चिंता होना स्वाभाविक है लेकिन ध्यान रखना जरुरी है  

आए दिन दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहे हैं, भूकंप के झटकों और भूगर्भीय हलचलों के बढने के बाद चिंता बढना स्वाभाविक भी है क्योंकि अब तक कोई सटीक दिन और समय बताने वाली कोई प्रक्रिया हमारे पास अब तक भी नहीं है। नेपाल में भूकंप ने कई बार सबकुछ तहस नहस किया है, अधिकांश भूकंप का केंद्र होने के कारण नेपाल को जानमाल का बडा नुकसान होता है। भारत के लिए भी यह गहरी चिंता का विषय है, भूकंप को लेकर बेशक अब मोबाइल पर अलर्ट मिल रहे हैं लेकिन ठीक ठीक समय की सूचना अब भी संभव नहीं हो पा रही है। 

हम नुकसान को टाल सकते हैं यदि हम सचेत रहे 

भूकंप को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है लेकिन ध्यान रखना जरुरी है कि जब भी भूकंप की सूचना आए या अलर्ट आए उस दिन बहुत अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। रात के समय भी सचेत अवस्था में रहें, भूगर्भीय हलचल होते ही तुरंत घर से बाहर खुले स्थान में पहुंच जाएं किसी भी तरह रिस्क न लें। परिवार के सभी साथियों को भूकंप के बारे और बचाव के बारे जानकारी मुहैया अवश्य कराएं। भूकंप से हम नुकसान को टाल सकते हैं यदि हम सचेत रहे तो ही। 


संदीप कुमार शर्मा, प्रकृति दर्शन पत्रिका