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यह जिंदगी का तिलिस्म है

 


पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं

जब कुछ टूट रहा होता है, बिखर रहा होता है, निस्तेज हो रहा होता है तब यकीन मानिए कि कहीं कुछ नया रचा जा रहा होता है। कुछ कोपलें रंग पाती हैं, निखार पाती हैं, इसी दौर में कुछ पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं। यह समय है दोस्तों और इसमें शीर्ष भी है और उससे वापसी भी है।

यही जीवन की जीत है

हमें धैर्य रखना चाहिए क्योंकि आज हम शीर्ष पर हैं तो कल हमें नीचे की ओर आना है और यदि हम नीचे की ओर है तो हमें शीर्ष की ओर अग्रसर होना है, यह एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए दोनों ही स्थितियों में मुस्कुराना यही जीवन की जीत है और उसका दर्शन है।

यह मानव स्वभाव है

हमें समझना है कि यदि हम शीर्ष पर ठहरने की जिद करते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि विकास एक प्रक्रिया है और वह एक दिन आपको मिटाता भी है और दोबारा आपमें से ही किसी को नये तरीके से बनाता भी है। यह मानव स्वभाव है कि सफलता के दिन सभी को अच्छे लगते हैं लेकिन जब आप अवसान की दिशा में होते हैं तब बैचेन हो उठते हैं। 

खैर, समझिए कि हमें केवल अपना कर्म करना है और अपनी दिशा में अग्रसर होना है। यह जिंदगी का तिलिस्म है, टूटता है और बिखरता भी है, फिर शीर्ष हो जाता है। 


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3 Comments

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-5-22) को "यह जिंदगी का तिलिस्म है"(चर्चा अंक-4438) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. आपका आभारी हूं कामिनी जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए और इस चर्चा में शामिल करने के लिए।

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  2. सार्थक चिंतन |

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