गहराइयों में बसा शहर, गहराइयों से बसा शहर, गहराइयों के लिए बसा शहर। ये गहराई एक पूरी उम्र की ईमानदार दौलत है। इसके हर हिस्से में मौन खनकता है। ये उस गहरे से शख्स के मन में बसा हुआ शहर है जो रोज, प्रतिफल इन्हीं गलियों में रैदासी विचरण करता है, ये एक सभ्यता है जो मन के धरातल पर ही बसती है। सोचता हूं गहराई का कोई तो दूसरा सिरा होगा, कोई दूसरा छोर...। वो कितना सख्त बंधा है कभी खुलता नहीं, कभी उस ओर से सलवटें भी नहीं आतीं....।
दोस्तों ये एक ऐसे गहरे कलाकार की कलाकृति है जो गहराई ही खोज रहा है, जीवन और आर्ट दोनों में...। आदरणीय बैजनाथ सराफ, वशिष्ट जी की कला को आप भी देखिये और उस को महसूस कीजिए...। आपने ख्यात पार्श्व गायक किशोर कुमार की जन्मस्थली खंडवा, मप्र का नाम सुना होगा...आदरणीय बैजनाथ सराफ भी उसे धरती से हैं, उनके आर्ट का मूल विषय है गहराई....। जब भी आपसे बात हुई एक ही शब्द दोहराया जाता है वह है गहराई...ओह गहराई जब देखनी है तब आप उनके आर्ट को देखिये....आपका लगेगा कि वाकई गहराई की कोई थाह नहीं होती, कोई सख्त जमीन नहीं होती, केवल गहराई है और उसका दूसरा छोर अब तक आदरणीय बैजू दा खोज रहे हैं...। खूब बधाई आपको।
बधाई बैजू दा। हमें गर्व है कि हम आपके करीबी, आपके छोटे भाई हैं। धन्य है वो धरती जो आपकी कला की साक्षी बन पाई।
आदरणीय बैजनाथ सराफ, वशिष्ट जी
9 Comments
आभार आपका मीना जी...। साधुवाद
ReplyDeleteगहराई से लिखा आलेख एवं सुन्दर आर्ट
ReplyDeleteआभार आपका अनुपमा जी।
ReplyDeleteअहा, कितनी गहराई खोजें। मन सम्मुख सब कुछ बौना है।
ReplyDeleteमन ही मन की थाह जाने, मन ही बिसराए आप को...मन को समझा जो संत हुआ...बहुत आभार आपका आदरणीय पाण्डेय जी।
Deleteये गहराई एक पूरी उम्र की ईमानदार दौलत है। इसके हर हिस्से में मौन खनकता है। ये उस गहरे से शख्स के मन में बसा हुआ शहर है जो रोज, प्रतिफल इन्हीं गलियों में रैदासी विचरण करता है,
ReplyDeleteमन भी गहराई तक सोचने लगा...चिन्तनपरक सृजन।
जी बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।
Deleteसच में कला का कोई सानी नहीं | कला में गहराई नापने की कवायद करना निरर्थक ही होगा | `आदरणीय बैजनाथ सराफ जी की कला को नमन | उनके बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा |आपका आभार उनसे परिचय करवाने के लिए | उनकी कलाकृति बेमिसाल है |
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका रेणु जी।
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