सुविधाभोगी हम ये नहीं समझने को तैयार हैं कि जिस प्लास्टिक को हमने अपने जीवन को आसान बनाने का साधन मान लिया है वह धरती के बाद समुद्र के गर्भ में पैर पसारता जा रहा है, ये सब तेजी से हो रहा है तो इससे क्या होगा...आपका सवाल हो सकता है इसका जवाब ये है कि इसका एक समय के बाद कोई जवाब नहीं होगा क्योंकि प्लास्टिक हमारी इस खूबसूरत धरती, जल, धरा, वायु और मानव जाति को खौफनाक अंत ही ओर ले जा रहा है और हम उस ओर स्वतः तीव्र गति से भाग रहे हैं। क्या हम जानते हैं कि प्लास्टिक दुनिया के सबसे विशाल पर्यावरर्णीय खतरे में से एक है और इसका अब तक कोई ठोस हल नहीं तलाशा जा सका है, ये हमारी आम जिंदगी की लापरवाही के कारण अब इतना विशाल हो जाता रहा है कि इसे समेटना और इसे खत्म करना असंभव हो गया है। धरती के बहुत से हिस्से इस प्लास्टिक के जहर को सालों से ढो रहे हैं, इससे जमीनी पानी दूषित हो रहा है और उसी के कारण हमारी धरा, जमीन भी इससे दूषित होती जा रही है। प्लास्टिक के पर्वत आप महानगरों के बाहरी हिस्सों में देख सकते हैं। सभी के लिए अब अनसुलझी पहेली हो चुके हैं, खूब प्रयास हो रहे हैं कि इसे खत्म करने का कोई तरीका तलाश लिया जाए लेकिन अब तक कोई उल्लेखनीय कामयाबी हासिल नहीं हुई है। धरा के साथ अब दुनिया के प्रमुख महासागरों के गर्भ में भी प्लास्टिक ठूंसा जा रहा है। महासागरों के लिए और उसके पानी के लिए ये एक बहुत खौफनाक खतरा बनकर तैयार हो रहा है। कहां ले जाएंगे इस लापरवाही उगलते शरीर को। खत्म कर दीजिए न इसे क्योंकि यदि हमने अपनी आदत में प्लास्टिक को शामिल रखा तब यकीन मानिये कि ये एक ऐसे खौफजदा संकट को हमारी ओर ला रहा है जिसका कोई इलाज आप खोज नहीं पाएंगे, सोचिएगा कि हमारी हरी भरी धरती प्लास्टिक के जंजाल में उलझकर कितनी बेबस हो जाएगी। सोचिएगा कि एक अच्छी आदत से दुनिया के किसी भी विशाल संकट को रोका जा सकता है, क्योंकि ये शुरुआत होती है। धरती केवल पौधे लगाने से हरी नहीं रहेगी, पौधों को जीवन देना तो अब हमारा कर्तव्य है ही लेकिन प्रकृति तो तब संवर पाएगी जब हम इस प्लास्टिक के संकट को रोकने में सफल हो पाएंगे। दुनिया के देशों के सामने अब प्लास्टिक एक ऐसा संकट बन चुका है जिस पर कोई राह नजर नहीं आ रही है, ये दमघोंटू प्लास्टिक पहले धरा का, महासागर का और बाद में इस मानव जाति का जीवन समाप्त कर देगा। जागिये कि समय से सुधार के रास्ते खोजे जा सकते हैं, प्लास्टिक का उपयोग के पहले अपने मन को ना कहने की आदत डालिए क्योंकि कल आपके बच्चों को आप एक जीवन देकर जाने वाले हैं क्या वह प्लास्टिक वाली सख्त और बिना हवा वाली दुनिया होगी....सोचिएगा...