अगला अंक ‘...और कितने बुंदेलखंड’ आलेख आमंत्रित हैं 

मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ का अगला अंक ‘‘...और कितने बुंदेलखंड’ पर केंद्रित रहेगा। दोस्तों जमीनी और पर्वतीय हिस्सों में जल के एक जैसे हालात हैं। बुंदेलखंड से पूछिये कि प्यास और जल कैसे होते हैं। पूछियेगा उस क्षेत्र के लोगों से बुंदेलखंड के मायने वे क्या समझ पाए हैं...इसी तरह मैं जानता हूं कि पर्वतीय हिस्से जहां प्रकृति बहुत मनोरम नजर आती है लेकिन वहां के प्राकृतिक जल के भंडार खत्म होते जा रहे हैं, सूखते जा रहे हैं, पर्वतीय हिस्सों पर जलसंकट गहराने लगा है और जहां तक मैं समझ पाता हूं पर्वतीय हिस्सों पर यदि हालात बेकाबू हुए तब उन्हें संभालना आसान नहीं होगा। आपको नहीं लगता कि देश के कई हिस्से बुंदेलखंड होने की ओर अग्रसर हैं...। यदि पर्वतीय हिस्से बुंदेलखंड जैसी आपदा तक पहुंचे तब यकीन मानिये कि सबकुछ खत्म हो जाएगा। लिखिए इस प्रमुख विषय पर....आलेख आमंत्रित हैं, ये मई का अंक है और हमें आलेख 20 अप्रैल तक मिल जाने चाहिए...। 

जो शोध कर रहे हैं इस विषय पर उनसे भी निवेदन है कि अपने आलेख भेजिए....प्रकृति दर्शन, पत्रिका एक ऐसा मंच है जो मानवजन को प्रकृति के करीब ले जाने पर कार्य कर रहा है। 

आप अपना आलेख, अपना फोटोग्राफ, संक्षिप्त परिचय हमें मेल कर सकते हैं, व्हाटसएप कर सकते हैं....। यदि जलसंकट के फोटोग्राफ हों, नदियों, तालाबों, पोखरों, कुओं के मौजूदा हालात पर फोटोग्राफ हों तो अवश्य भेजिएगा...।


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Mob/WhstsApp- 8191903651

(फोटोग्राफ आदरणीय ललित शर्मा जी)