Ad code

रंग भी तराशे गए होंगे कुछ कोरी आंखों से


झरोखे सच कहते हैं... मन में दबा हुआ सच उन्हें महल का दरबान बना देता है... । मन से जिस्म तक घूरती आंखें अक्सर झरोखे की तहजीब पर उंगली उठाती हैं... लेकिन झरोखा विचलित नहीं होता... वो शर्म ओढ़े खड़ा रहता है...। अक्सर हमने पुराने किलों में झरोखे देखें होंगे वे अब तक अपनी आचार संहिता में तैनात हैं। इतिहास गवाह है कि झरोखों से साजिशों ने भी झाका होगा और नेह के रंग भी तराशे गए होंगे कुछ कोरी आंखों से। कुछ रंग चेहरों के, कुछ विवशता की टूटन, कुछ हार का भय, बहुत सी जीत का उल्लास। झरोखों से पूछा जाता कि क्या कुछ कहना चाहते हैं इतिहास में अपनी मौजूदगी पर। मुझे यकीन है वे बहुत कुछ ऐसा कहते कि शब्द सूखी किताब के पन्नों में गहरे गढ़ जाते, मैं देखता हूं उन्हें अब भी, वे किसी आंख के करीब आते ही अपने आंसु अक्सर पोंछ लिया करते हैं, झरोखों को देखियेगा अबकी जाएंगे जब भी किसी पुराने से किले की टूटी से दीवारों की जब्त सी खिड़की में। 

Post a Comment

12 Comments

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१३-०२-२०२१) को 'वक्त के निशाँ' (चर्चा अंक- ३९७६) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब संदीप जी | झरोखों की ऐसी परिभाषा कौन दे सकता है |झरोखे किस मानसिकता के द्योतक हैं -- सही सही कहा नहीं जा सकता पर उनकी अपनी व्यथा जरुर है| झरोखे से जीवन की खुशियाँ ढूंढते विकल मन के सुखद अतीत और वर्तमान को आपने
    अपनी दृष्टि से देखा है |झरोखे किसी भी घुटन भरे जीवन के लिए प्राणवायु का प्रमुख द्वार होते हैं |

    ReplyDelete
    Replies
    1. रेणु जी ये जो मन है ये हजारों लाखों योजन भागता है प्रतिदिन। बीच में बहुत कुछ मनन करता है, बतियाता है। झरोखे भी बात करते हैं और इस धरा का हर कण भी आपसे बात करता है बस आप उसके पास, उसके आसपास बैठ जाईये उसके होकर। कहेगा मन की और सुनेगा मन की...। आभारी हूं आपका।

      Delete
  3. बेहतरीन प्रस्तुति ❗🙏❗

    ReplyDelete
  4. सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  5. "झरोखों से साजिशों ने भी झाका होगा और नेह के रंग भी तराशे गए होंगे कुछ कोरी आंखों से। कुछ रंग चेहरों के, कुछ विवशता की टूटन, कुछ हार का भय, बहुत सी जीत का उल्लास।"
    बहुत खूब,झरोखे के मनोभाव अगर होते तो शायद ऐसे ही होते,सादर नमन आपको

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ये मन है और उसकी कायनात, विचार तो यहां केवल मन की परिभाषा भर हैं...। झरोखे मुझसे बतियाये तो मैंने लिख दिया...मन है और वह बहुत कुछ कहता है...। आभार कामिनी जी।

      Delete

Comments