Ad code

मौजूदा हालात में पीपल हो जाईये

कौन किसे पनपने देना चाहता है, कौन किसी को जगह देगा.. कुछ मुट्ठीभर अपवाद लोगों को छोड़ दीजिए... बहुत धक्का मुक्की है, कोई किसी को सहन नहीं करना चाहता... आपका हुनर और मन साफ रखते हैं तो मेरी मानिए पीपल हो जाईये... पीपल से जीवन दर्शन सीखिए...विपरीत हालात में वो अपनी जिद पर बिना किसी से ये उम्मीद लगाए कि कोई अंकुरण के लिए जगह और जल देगा... उग जाते हैं, बिना किसी की परवाह के बढ़ते जाते हैं, कोई हटाता है, फिर उग जाते हैं...सोचिये इतने महत्वपूर्ण वृक्ष को जब पनपने में इतना संघर्ष है तो हम तो इंसान हैं... पीपल जिद्दी वृक्ष है लेकिन जीतना जानता है, हारना उसने सीखा ही नहीं... इसीलिए उसे श्रीकृष्ण का नेह भी मिला... उन्होंने कहा वृक्षों में मैं पीपल हूँ...। जीतना चाहते हैं तो पीपल हो जाईये... और उसे बचाईये...

Post a Comment

6 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज मंगलवार 02 फरवरी को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत आभार दिग्विजय जी....।

      Delete
  2. सार्थक एवं प्रेरक रचना

    ReplyDelete

Comments