प्रकृति दर्शन, पत्रिका में आलेख आमंत्रित हैं
दोस्तों त्योहारों के कारण अक्टूबर और नवंबर के माह हम भारतीयों की खुशियों के माह होते हैं, बेशक हम कितने भी थक जाएं, लेकिन इन महीनों में हम अपनों के बीच होते हैं, मुस्कुराते हैं और उम्मीद से लबरेज हो जाते हैं...लेकिन केवल एक या दो ही माह की खुशी क्यों ? केवल कुछ चुनिंदा अवसरों पर ही खुशी क्यों और क्यों हमेशा हम खुशी से नहीं जी सकते...? क्यों हम अपने यहां कोई हैप्पीनेस इंडेक्स नहीं बना पाए ? क्यों हमने यह नहीं सोचा कि प्रकृति और खुशी के बीच एक रिश्ता है या यूं कहा जाए कि खुशी का प्रकृति से गहरा नाता है। ऐसा माना जाता है कि आपके खुश रहने में प्रकृति की बहुत अहम भूमिका है। जानते हैं कि दुनिया के लगभग अधिकांश देश हैप्पीनेस इंडेक्स पर प्रमुखता से कार्य कर रहे हैं, प्लानिंग भी उसी तरह बनाई जा रही हैं। प्रकृति केंद्रित योजनाओं पर कार्य आरंभ हो गया है...हम कहां हैं और हमें क्या करना चाहिए...लिखिएगा...बहुत महत्वपूर्ण विषय है- अगला अंक इसी महत्वपूर्ण विषय पर...। आलेख आमंत्रित हैं...दोस्तों 20 सितंबर तक आलेख ईमेल पर अवश्य मिल जाएं...।
संदीप कुमार शर्मा
प्रधान संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
वेबसाइट- www.prakritidarshan.com
ईमेल- editorpd17@gmail.com
मोबाइल/व्हाटसऐप- 8191903651
8 Comments
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-9-21) को "है अस्तित्व तुम्ही से मेरा"(चर्चा अंक 4185) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आभार आपका कामिनी जी...। साधुवाद
Deleteसार्थक विषय,बहुत शुभकामनाएं आपको संदीप जी ।
ReplyDeleteआभार आपका जिज्ञासा जी...।
Deleteसार्थक विषय…कविता भी दे सकते हैं ?
ReplyDeleteआभार उषा जी..। भेजिए...। ईमेल कीजिए...। कविता, संक्षिप्त परिचय और अपना एक फोटोग्राफ...। ईमल editorpd17@gmail.com पर भेजिएगा..मुझे व्हाट्सएप पर सूचित कर दीजिएगा...ताकि अगली बार सूचना भी व्हाट्सएप पर मिल सकेगी..।
Deleteसार्थक पहल सुंदर योजना।
ReplyDeleteसार्थक सुंदर विषय
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