ख्यात अभिनेता दिलीप कुमार साहब का निधन हो गया...मन ये खबर सुनकर कुछ पल के लिए ठिठक गया। एक जगह ठहरकर बैठ गया क्योंकि आज दिलीप साहब के साथ अभिनय भी खामोश हो गया है। ओह...उनकी भूमिकाएं याद आ रही हैं, उनके किए गए किरदार आंखों के सामने से होकर बारी-बारी गुजर रहे हैं। गोपी में एक नादान से युवक की बात कहें या कहें सौदागर के उस एक गुस्सैल मित्र की बात कहें, कर्मा के ईमानदार जेलर को महसूस करें....ओह आप सभी भूमिकाओं में खरे थे...। शहजादे सलीम का आपका अभिनय आज तक दिलों में कहीं ठहरा हुआ है। ओह अभिनय के कैसे-कैसे स्तंभ बनाए आपने, रचे आपने। आपकी संवाद अदायगी...या आप का चेहरा सभी माहिर थे हर फिल्म और हर चेहते के मन में जगह बनाने के लिए। दिलीप साहब का जाना मन को दुखी कर गया है...हालांकि उम्र के बाद इस सच से हरेक को होकर गुजरना है...। आप अपने अभिनय के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
फोटोग्राफ- गूगल से साभार।
2 Comments
संदीप जी , अभिनय वर्षों से खामोश था पर उनकी सदेह उपस्थिति उनके चाहने वालों के मन को ख़ुशी से भर रही थी | वे अपनी कालजयी फिल्मों के माध्यम से हमारे बीच सदैव रहेंगे | रजत पट के शहजादे की पुण्य स्मृति को कोटि नमन |
ReplyDeleteजी खूबसूरत बात कही आपने..। वाकई वह.हमेशा जीवित रहेंगे हमारे बीच...। आभार आपका रेणु जी...।
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