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बच्चों की ऊंगली थामें, कल्पनालोक ले चलें

 











हमने कभी कल्पना का सुखद संसार करीब से देखा है, या जानने की कोशिश की है... या कभी कल्पना को आकाश पर किसी परिंदे के पंख पर बैठाकर भेजना चाहा है...। नहीं, तो शुरु करें...ये कल्पना लोक बहुत खूबसूरत होता है...। चंद्रमा को तकिया बनाने के लिए उसे सीढ़ी चढकर उतार लें, तकिया बना लें बहुत गुदगुदा है वो....। तारे भी मिलेंगे कोई अधिक चमकदार होगा उस पर चढ़कर अपने थैले में उसकी चमक दोनों हाथों से बटोर लाएंगे और आपस में बांट लेंगे...। सांझ बहुत अधिक शरमाती है, उसका घूंघट उस समय धीरे से हटा देंगे जब सूरज उसके आसपास मंडरा रहा होगा...। सूरज जब लाल होगा उसे कहेंगे थोड़़ी देर हमारे सफेद कपड़ों से लिपट जाए वो भी रंगीन हो जाएंगे...। तितली के पास तब पहुंच जाएंगे जब वो फूलों से दिल की बात कर रही होगी....। आओ प्रकृति के नेह आशीष में इतराती पत्तियों के मन को छू आएं। आओ कुछ फूलों की पत्तियों को छूकर देखें और उनके रंग पर शास्त्रार्थ हो जाए, आओ कुछ पक्षियों के साथ उनकी पीठ पर बैठाकर इस मन को चंद्रमा की सतह तक पहुंचा आएं...। 

दरअसल ये कुछ अटपटी पोस्ट है लेकिन मैं चाहता हूं हमारे जो बच्चे पहले जो कल्पनालोक में जीते थे, कल्पना की दुनिया में उनका बचपन सैर करता था अब कहीं न कहीं मोबाइल और आईपेड के जंजाल में उलझकर रह गए हैं, बेशक वे समय से पहले समझदार हो गए हैं लेकिन क्या आपका उनका बचपन छीनना अच्छा लग रहा है या उनका समय से पहले परिपक्व होना। अब बताओ मजा आया या नहीं...। भाई ये उदास सी बेरंग और रोज थका देने वाली दुनिया में मैं तो यूं ही ताजा हो जाता हूं, बच्चों को खूब हंसाता हूं और प्रकृति की गोद में जाकर सुस्ताता हूं....।

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9 Comments

  1. बड़ी प्यारी-सी बात कही आपने! आनंद आ गया।

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    1. जी आभार आपका आदरणीय विश्वमोहनजविश्वमोहनजी...

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  2. आभार आपका कामिनी जी...।

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  3. आदरणीय संदीप कुमार शर्मा जी, बहुत अच्छी पोस्ट! प्रकृति का नयनाभिराम चित्रण। साधुवाद!
    आपका नाम मैंने अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरा ब्लॉग भी अवश्य देखें। सादर! --ब्रजेंद्रनाथ

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    1. आपका बहुत बहुत आभार...अवश्य देखूंगा आपका ब्लॉग...।

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  4. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  5. बेशक संदीप जी | सहमत हूँ आपसे | आज बच्चों को हर चीज तैयार मिलती है | अपनी कल्पनाओं में किसी विचार को सजाने का उनके पास समय ही नहीं | अनमोल हैं आपके विचार | कितना अच्छा लगे यदि ये सब मुमकिन हो |

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  6. आभारी हूं आपका रेणु जी...आपकी प्रतिक्रया मुझे बेहतर करने को प्रेरित करती रही है...।

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