(अगले अंक के लिए आलेख आमंत्रित)
राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ का जुलाई 2021 का अंक
दो हिस्सों में विभाजित है...
1
पहला हिस्सा पर्यावरणविद् स्व. सुंदरलाल बहुगुणा जी पर केंद्रित रहेगा।
- दोस्तों पिछले दिनों पर्यावरणविद् आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा जी का स्वर्गवास हो गया, वे हममें प्रकृति संरक्षण की एक गहरी समझ बो कर कर गए हैं, उसे किस तरह से अंकुरित और पल्लवित करेंगे हमें तय करना है, आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा जी पर आप आलेख भेज सकते हैं, उनके साथ संस्मरण, कोई सीख, कोई बात जो आपको उनके विषय पर लिखने को विवश कर दे...।
और
2
दूसरा हिस्सा बारिश पर। ‘बचपन की बारिश, अब की बारिश’
दोस्तों बारिश पर हमेशा लिखी जानी चाहिए, लिखी जाती रही है, कविताओं में, साहित्य में, अखबारों में आंकड़ों में...अबकी लिखिये बचपन की बारिश और अब की बारिश...। बारिश में वृक्षों और जंगल की भूमिका पर भी लिखा जाना चाहिए...लिखियेगा...क्योंकि हम प्रकृति को बेहतर बना सकते हैं।
केवल एक निवेदन है कि हमें आपके आलेख, रचनाएं, फोटोग्राफ हर हाल में 21 जून तक ईमेल के माध्यम से मिल जाएं। आलेख के साथ संक्षिप्त परिचय और अपना फोटोग्राफ भी अवश्य प्रेषित कीजिएगा....।
संदीप कुमार शर्मा,
संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
ईमेल- editorpd17@gmail.com
मोबाइल/व्हाटसऐप- 8191903651
(फोटोग्राफ गूगल से साभार)
8 Comments
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (15 -6-21) को "ख़ुद में ख़ुद को तलाशने की प्यास है"(चर्चा अंक 4096) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
कामिनी जी साधुवाद...। आपके सहयोग के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, पत्रिका की सूचना सभी सहयोगियों तक पहुंचाने के लिए ये एक महत्वपूर्ण माध्यम है...। आपके माध्यम से ये संभव हो पाया है...आभार।
Deleteबहुत अच्छा विषय है , कोशिश करते हैं लिखने की
ReplyDeleteअवश्य लिखियेगा कविता जी...आभारी हूं आपका...।
ReplyDeleteसार्थक कदम।
ReplyDeleteमन में लिखने का उत्साह पैदा कर रही है।
बहुत अच्छी जानकारी युक्त पोस्ट।
अवश्य लिखियेगा---आभार आपका।
Deleteवाह!जरुर कोशिश करतें हैं।
ReplyDeleteसादर
अवश्य लिखियेगा---आभार आपका।
Delete