मानो या मत मानों पानी हमसे और हमारी पहुंच से दूर जा रहा है क्योंकि इसे लेकर हमारी गंभीरता बहुत कम हो गई है। पानी आज है, हमें मिल रहा है लेकिन हालात यही रहे तब पानी हमारे बीच नहीं होगा...सोचियेगा कि बिना पानी दुनिया कैसी होगी...क्या हम उसे जी पाएंगे, क्या हम उस दुनिया का हिस्सा होना चाहते हैं....यदि नहीं तो पानी पर कार्य करने के लिए पूरे मन से आगे आईये, उसे बाजार का हिस्सा मत बनने दीजिए...।
एक पल के लिए सोचियेगा उन शहरों के बार में जहां पीने का पानी खत्म होने लगा है, उन शहरों के बारे में जिन्हें डे जीरो में सूचीबद्व कर लिया गया है....सोचियेगा कितना खौफनाक होगा वह समय जब पानी के लिए हम अपने अंदर रोज एक युद्ध लड़ रहे होंगे...
14 Comments
पानी बिना जीवन संभव ही नही है। विचारणीय पोस्ट।
ReplyDeleteजी बहुत आभार ज्योति जी...
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-०६-२०२१) को 'बारिश कितनी अच्छी यार..' (चर्चा अंक- ४०९३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी बहुत आभारी हूं आपका...मेरे लेखन को सम्मान देने के लिए साधुवाद।
Deleteविचारणीय
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteभविष्य के प्रति आगाह करती विचारणीय पोस्ट ।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका मीना जी...। हमेशा के तरह गहरी प्रतिक्रिया।
Deleteविडंबना यही है कि सब जानते-समझते भी हम तब तक आँखें बंद किए पड़े रहते हैं जब तक आपदा सर पर आ खड़ी नहीं हो जाती !
ReplyDeleteबहुत आभार आपका आदरणीय गगन शर्मा जी।
ReplyDeleteकितना भयावह सत्य है, और हम मानव न जाने कौन से भ्रम में जीते जिस रहें हैं।
ReplyDeleteसटीक चिंतन परक लेख।
आभार आपका...लेकिन ये भ्रम अब चटखने लगा है....।
Deleteविचारणीय प्रस्तुति
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका।
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