जून अंक का विषय- वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन, हांफता सिस्टम

राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रकृति दर्शन का जून अंक का विषय- ऑक्सीजन (घटती ऑक्सीजन, घुटता दम, बेदम सिस्टम, घुटता दम, वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन, हांफता सिस्टम) 

कोरोना संक्रमण काल है और इस दौर में ऑक्सीजन चिंता का एक प्रमुख विषय बनकर हमारे सामने है। ऑक्सीजन के मायने भी समझ आए और प्रकृति की अहमियत भी। हमारे संसार ने जो रचा है उसमें कोरोना भी है और ऑक्सीजन भी...लेकिन ये भी साबित हो गया है कि हमारे आत्मरक्षा के प्रयास कहीं उतने मजबूत नहीं हैं क्यांकि इस दौर ने दिखा दिया कि बिना ऑक्सीजन या ऑक्सीजन की कमी के बाद सिस्टम और जिंदगी कितनी जल्दी बेहद होने लगती है। पूरा का पूरा सिस्टम हांफ रहा है। ये अंक बेहद महत्वपूर्ण है इसमें आलेख आमंत्रित हैं, ऑक्सीजन के संकट पर, प्रकृति की ऑक्सीजन पर, ऑक्सीजन कैसे बढ़े, कैसे हमारा ये सिस्टम ऑक्सीजन पाकर वेंटिलेटर से अपने आप को मुक्त कर पाए। विषय एक है लेकिन लिखने को बहुत है। हम बताएं कि कैसे हम भविष्य में ऐसे किसी भी संकट से बच सकते हैं, कैसे हमें हालात बदलने होंगे, कैसे हमें प्रकृति से सीखना होगा, समझना होगा। 

आपसे निवेदन है कि हमें आपके आलेख संक्षिप्त परिचय और फोटोग्राफ के साथ 20मई तक ईमेल के माध्यम से अवश्य मिल जाएं। 

लिखियेगा क्योंकि ऑक्सीजन के बिना सिस्टम का और हमारे इस संसार का बेदम होना अच्छे संकेत नहीं दे रहा है...लिखियेगा क्योंकि बच्चों का भविष्य संकट में है...। 


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