लघुकथा...।
एक नाव थी, लोगों को आराम से लाने ले जाने का काम करती थी, सभी उस नाविक के कम बोलने. पर अक्सर तंज कसा करते थे, वह नाविक बिना कुछ कहे केवल मुस्कुरा कर अपने काम में लगा रहता। एक दो बार बड़े तूफान भी आए लेकिन उस नाविक ने अपने कौशल से नाव को डूबने से बचा लिया, ये सभी यात्री भी समझ रहे थे लेकिन फिर भी खामोशी पर सभी टोका करते थे...। एक समय आया जब किनारे एक आदमी अपने आप को बेहतर नाविक बताकर उस खामोश रहने वाले नाविक को बुरा भला कहने लगा। वो चीखकर कहता मैं बेहतर हूँ, नाव खेना जानता हूँ, आपकी सुनूंगा और कहूंगा भी...लोगों को लगा इस नये नाविक के साथ सफर शानदार रहेगा... और लोग उस नये नाविक की मानकर नाव पर सवार हो गए...। नया नाविक खूब बातूनी था, लोगों को मजा आने लगा और उसकी बातों में खो जाते...। सब यूं ही चलता रहा और फिर एक के बाद एक कई तूफान आए, नाव डोलने लगी, लोग भयभीत थे वे चाहते थे नाविक नाव चलाए लेकिन वो मधुर बातों में लगा रहा , एक समय आया जब नाव डावांडोल होने लगी, उसमें पानी भरने लगा, लोग डूबने के डर से चीखने लगे...। वह नाविक अपनी अजीबोगरीब योजनाओं में व्यस्त रहा... लोग चीखने लगे और वो नाविक नाव के खाली हिस्से में पहुंच मंथन करने लगा...। नाव डूबने लगी वो यात्रियों की ओर पीठ कर बैठ गया... कुछ कहने लगे इससे तो बेहतर वही था संकट से निकाल ले जाता था...। लोग चीखते रहे और अपने हाथों नाव को खेते रहे...जैसे तैसे नाव किनारे पहुंची...। अगली बार वो नाविक फिर बुलाने लगा लेकिन लोग पीठ दिखाकर उस दूसरे नाविक की ओर चले गए...।
दोस्तों तूफान में नाविक समझदार होना बहुत जरूरी होता है... यह कहानी हमें यही शिक्षा देती है...।
13 Comments
जी आभार आपका मीना जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी आभार आपका
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteजी आभार आपका
Deleteसुंदर सार्थक संदेशपूर्ण कथा ।
ReplyDeleteजी आभार आपका
Deleteअगली बार वो नाविक फिर बुलाने लगा लेकिन लोग पीठ दिखाकर उस दूसरे नाविक की ओर चले गए...।
ReplyDeleteसमझदार थे लोग !!!
सुंदर लघुकथा।
जी आभार आपका
Deleteसुन्दर संदेश देती लघु-कथा...नाविक का बातूनी नहीं समझदार होना जरूरी है....
ReplyDeleteजी आभार आपका
Deleteकथा में अद्भुत मर्म है।
ReplyDeleteसुंदर प्रेरक।
जी आभार आपका
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