ये सख्त सी जिंदगी है दोस्तों, ये कई बार भुरभुरी सी होकर हाथों से फिसलने लगती है, ऐसा भी लगता है कि हम अपने आप से कोसों दूर निकल गए हैं, कहीं दूर एक स्याह रेगिस्तान की ओर...। जिंदगी का फलसफा भी अजीब है ये हमें अपने आप ही थकाती है और अपने आप ही तरोताजा भी कर जाती है...। समझने और देखने की दृष्टि हमें भीड़ में एकांत और एकांत में भीड़ का अहसास करवाती है...। प्रकृति और उसके अनपढे़ पाठ, उसका कभी न देखा हुआ चेहरा और उसके चेहरे पर हरपल बदलते भाव और उसके भावावेश के पीछे की शीतलता और गहराई...हमारी जिंदगी का सबसे अहम सबक है...जो हमें शीर्ष पर ले जाता है। मैं यहां बहुत सीधी सी बात कहना चाहता हूं कि प्रकृति हमारी हर थकन, हर रेगिस्तानी विचारधारा पर जीत दर्ज करवाना जानती है, वह हमें सिखाती है, हर पल सबक देती है...वो केवल इतना चाहती है कि उसकी इस कक्षा में हम पूरे मन से एक बार पहुंचें तो सही...। उसे समझें तो सही...। देखें तो सही...। वाह, वे जन्तु, वे प्राणी जो केवल इसके ही प्राश्रय में हैं, रहते हैं कितने खुश है, कितने मौन और अपने में अपने साथ जीने वाले...।
5 Comments
जी बहुत आभार आपका। ब्लॉग पर संक्रमणकाल नहीं आएगा। आपका प्रयास अतुलनीय है...आभार
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार आपका पम्मी जी...।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत आभार ओंकार जी..
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