हमने कभी कल्पना का सुखद संसार करीब से देखा है या जानने की कोशिश की है... या कभी कल्पना को आकाश पर किसी परिंदे के पंख पर बैठाकर भेजना चाहा है...। नहीं, तो शुरु करें...ये कल्पना लोक बहुत खूबसूरत होता है...। चंद्रमा को तकिया बनाने के लिए उसे सीढ़ी चढकर उतार लें, तकिया बना लें बहुत गुदगुदा है वो....। तारे भी मिलेंगे कोई अधिक चमकदार होगा उस पर चढ़कर अपने थैले में उसकी चमक दोनों हाथों से बटोर लाएंगे और आपस में बांट लेंगे...। सांझ बहुत अधिक शरमाती है, उसका घूंघट उस समय धीरे से हटा देंगे जब सूरज उसके आसपास मंडरा रहा होगा...। सूरज जब लाल होगा उसे कहेंगे थोड़़ी देर हमारे सफेद कपडों से लिपट जाए वो भी रंगीन हो जाएंगे...। तितली के पास तब पहुंच जाएंगे जब वो फूलों से दिल की बात कर रही होगी....। अब बताओ मजा आया या नहीं...। भाई ये उदास की बेरंग और रोज थका देने वाली दुनिया में मैं तो यूं ही ताजा हो जाता हूं, बच्चों को खूब हंसाता हूं और प्रकृति की गोद में जाकर सुस्ताता हूं....।
2 Comments
वाह, बहुत खूब।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आदरणीय...।
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