दीयों की लौ को देखा है, शांत एकाग्र होकर...। देखियेगा वो अस्थिर लौ हवा को सहती हुई अपने आप को स्थिर करने का एक पूरा युद्व झेलती है, आखिरकार एकाग्र होती है। आपको वो उस पल शांत नजर आएगी जब हवा की कई सारी कोशिशें उसे बुझा नहीं पातीं। ओह दीयों का दर्शन और दर्शन के लिए दीये दोनों काफी कुछ एक हैं क्योंकि दोनों में देखने का एक गुण परिपक्व हो रहा है। दीयों का दर्शन हर वर्ष दीपावली की स्याह रात में अंधेरे के लिए जीत का एक युद्व होता है जो छोटे-छोटे दीये हर साल जीतते हैं बस हम उन्हें प्रज्जवलित कर भूल जाते हैं, लेकिन उनकी जीत को अपने जीवन में अंगीकार नहीं करते....। दीया हो जाईये, ये मत सोचिये कि आपको बहुत तपना है ये सोचिये आपकी आभा कितनों का जीवन रौशन करेगी...।
2 Comments
बहुत प्रेरक बात लिखी आपने!!!!
ReplyDelete-------दीया हो जाईये, ये मत सोचिये कि आपको बहुत तपना है ये सोचिये आपकी आभा कितनों का जीवन रौशन करेगी...-----------!!!!!!!!
जी आभार रेणु जी.. .
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