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जड़ों का चिंतन...

 

जड़ों को देख पाना आसान नहीं होता, हम तो केवल महसूस कर लें....। कल एक पौधे को गमले से निकाल कर फैंका गया होगा... मेरी उस पर नजर ठहर गई...। जड़ों से रिश्ता क्या होता है और कितना गहरा होता है कुछ हद तक जान पाया...। सोचता हूँ जब एक छोटे पौधे की जड़ें इतनी घनी और सघन हैं तो आदमियत की जड़ें, मानवीयता की जड़ें, भरोसे की जड़ें और भी बहुत है जिनकी जड़ें गहरी हैं...। हम तो केवल ऊपर के सौंदर्य को देखने के आदी हैं, जड़ें कोई देखता ही कहां है और सीधा तर्क ये कि उसमें ऐसा होता ही क्या है, उलझनों और बदसूरती के अलावा... । मैं काफी देर बैठा रहा उस जड़ के पास...अंदर से जड़ होता रहा, विचारों और मानव की उलझनों में जड़ता को उलझता देख...। ओह ये जड़ें और हमारा समझदार हो जाना कितना अंतर है, कितना कुछ छीन कर ले गई ये समझदारी हमसे... इससे तो नादान ही भले थे...।

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16 Comments

  1. वाह...

    गहरा चिन्तन

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    1. जी बहुत आभार... सुप्रभात...।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत आभार पम्मी जी...। सुप्रभात...।

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  3. बढ़िया और सार्थक चिंतन। आपको शुभकामनाएँ।

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    1. जी बहुत आभार... वीरेंद्र जी...। सुप्रभात

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  4. कितना कुछ छीन कर ले गई ये समझदारी हमसे... इससे तो नादान ही भले थे...।
    बेहद गहनतम और सशक्त बात कही आपने ...

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  5. बहुत ही सुंदर सृजन।

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  6. गहन चिंतन !
    एक संवेदनशील मन की भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
    बहुत सुंदर।

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