एक्यूआई शब्द है क्या और इसे समझना पूरे देश के लिए क्यों जरुरी है, वैसे दिल्ली एनसीआर और प्रदूषण झेल रहे हिस्सों के महानगरों और नगरीय हिस्सों में तो आमजन के यह समझ आ रहा है और लेकिन अभी भी देश के काफी शहरों, ग्रामीण हिस्सों, कॉलेजों और स्कूलों में अब तक इस शब्द के मायने और इसे क्यों समझा जाना जरुरी है वह समझाया नहीं जा रहा है। प्रदूषण प्रकृति को बेहाल कर रहा है, मानव जाति के लिए हजार संकटों का कारण बन रहा है और हमारे देश में यदि आम व्यक्ति इस शब्द को और इसकी गंभीरता नहीं समझ रहा है तो यह भी एक बहुत बड़ा संकट है इसलिए एक्यूआई को समझें और सभी इसे सहजता से ज्ञान का हिस्सा बनाएं।
एक्यूआई क्या है
एक्यूआई अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स। यह एक संकेतक है, जनता को यह बताने के लिए कि वर्तमान हवा कितनी प्रदूषित है या इसके कितना प्रदूषित होने का अनुमान है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 17 सितंबर 2014 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लॉन्च किया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर देश के 240 शहरों को कवर करते हुए 342 से अधिक निगरानी स्टेशनों वाले राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) का संचालन कर रहा है। सीधे अर्थो में समझें तो शहरों में प्रदूषण के स्तर को यदि सूचीबद्व किया जाता है तो उसे एक्यूआई कहा जाता है। प्रदूषण के स्तर वाले महानगरों, नगरों को क्यों सूचीबद्व किया जा रहा है इसे आगे देखेंगे लेकिन अभी इस एयर क्वालिटी इंडेक्स की गंभीरता को समझें। इसे आंकडे़ में देखें तो हमें बेहतर समझ आएगा क्योंकि इसे सूचीबद्व आंकड़ों में ही किया जाता है। इस तरह समझें कि इसे किस तरह विभाजित किया जाता है। आपके शहर की हवा कैसी है और उसमें प्रदूषण का स्तर कितना है और कितना स्तर पर वह गंभीर हो जाता है।
0-50 अच्छा
51-100 संतोषजनक
101-200 मध्यम
201-300 खराब
301-400 बहुत खराब
401-500 गंभीर
एक्यूआई की आवश्यकता क्यों पड़ी
जैसे-जैसे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे एक्यूआई के साथ-साथ संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ता जाता है। एक्यूआई अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स को सूचीबद्व करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि समझा जा सके कौन सा समय है, दिन है और महीना जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो जाता है और उस दौर में उसे किस तरह से नियंत्रित किया जाए, किस तरह प्रदूषण को कम करने की प्लानिंग की जाए। आंकड़ों को देखने पर स्पष्ट समझ आता है कि कौन से शहर हैं जहां पर प्रदूषण कौन से महीनों में खराब, बहुत खराब और गंभीर स्तर पर पहुंच रहा है। एक्यूआई के माध्यम से प्रदूषित शहरों की और समय की गढ़ना आसान हो सकी। यह सूचीबद्वता वर्तमान समय की आवश्यकता बन गई है। अमूनम आप खबरों में पढ़ते होंगे और टीवी पर न्यूज पर देखते होंगे कि दिल्ली, एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर जा पहुंचता है, हालांकि देश के अन्य महानगरों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है और इसलिए एक्यूआई के माध्यम इसकी सूचीबद्वता की जाती है। यहां समझना यह भी जरुरी है कि इस विश्व में लगभग सभी देशों ने प्रदूषण को लेकर गंभीरता दिखाते हुए अपने-अपने नियम बनाए हैं और सूचीबद्वता की सभी की अपनी अपनी तकनीक है, उन्हें लेकर भी हम भविष्य में आलेख के माध्यम से समझेंगे।
इन आंकड़ों को भी समझें
अच्छा (0-50) न्यूनतम प्रभाव
संतोषजनक (51-100) लोगों को सांस लेने में मामूली परेशानी हो सकती है।
मध्यम (101-200) अस्थमा जैसे फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बड़े वयस्कों को परेशानी हो सकती है।
ख़राब (201-300) लंबे समय तक संपर्क में रहने पर लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को परेशानी हो सकती है।
बहुत ख़राब (301-400) लंबे समय तक संपर्क में रहने से लोगों को सांस संबंधी बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
गंभीर (401-500) स्वस्थ लोगों पर भी श्वसन संबंधी प्रभाव पड़ सकता है और फेफड़ों/हृदय रोग से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी स्वास्थ्य पर प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है।
एक्यूआई को रोज समझिए
प्रदूषण बढ़ रहा है, यह सच है कि दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में यह गंभीर स्थिति तक जा पहुंचता है, जैसे कि इस वर्ष भी दिल्ली में हवा सामान्य से 20 गुना अधिक प्रदूषित हो गई और यही कारण था कि एहतियात के तौर पर दिल्ली में निर्माण कार्य पर रोक लगाई, स्कूलों की छुट्टी की गई और भी जरुरी निर्णय लिए गए। यह हर वर्ष हो रहा है और चिंताजनक स्थिति यह भी है कि हालात हर वर्ष खराब हो रहे हैं, अब केवल एक्यूआई के माध्यम से हम उस सूचकांक को समझकर अपने आपको बचाव की राह की ओर ले जा रहे हैं। अव्वल तो प्रदूषण कम होने और उसे पूरी तरह समाप्त किए जाने की ओर सोचा जाना चाहिए लेकिन महानगरों में वाहनों की संख्या, दैनिक आपाधापी और हमारे भौतिक संसाधनों में जीने की आदतों के कारण प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो रहा है। यहां एक्यूआई को समझना और रोज पढ़ना और बच्चों तक उसे पहुंचाना जरुरी हो गया है। इसकी वेबसाइट है और तो कई ऐप भी इसके लॉच हो गए हैं। इसे समझना बेहद आसान है, जो नगर अथवा हिस्से प्रदूषण से प्रभावित नहीं है वे भी इसे समझें और अपने हिस्सों पर नजर रखें कि वह हमेशा प्रदूषण मुक्त बने रहें।
स्कूल/कॉलेज में बोर्ड पर रोज लिखा जाना चाहिए एक्यूआई
यहां इस आलेख के माध्यम से एक सुझाव भी देना चाहता हूं कि देश की सभी स्कूल/कॉलेज में नियमित तौर पर एक्यूआई बोर्ड पर अंकित की जाना अनिवार्य होना चाहिए, इसमें देश के प्रमुख शहरों जहां का स्तर खराब और गंभीर स्थिति में है और जहां प्रदूषण नहीं है उस हिस्सों के साथ जिस क्षेत्र में स्कूल है उसके आसपास के हिस्सों को भी बोर्ड पर उल्लेखित किया जाना चाहिए इसका सीधे तौर फायदा यह होगा कि वह आने वाली पीढ़ी, स्कूली और कॉलेज के बच्चे उस संकट को रोज देखेंगे, समझेंगे और तभी उससे बचने और उसे सुधारने की राह निकालने के लिए स्वप्रेरित होंगे।
संदीप कुमार शर्मा
संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
(सोर्स- विकिपीडिया/गूगल से जानकारी के आधार पर)
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