आज प्रकृति और वन्य जीव खतरे में हैं- सोचिए हम क्या अंकुरित कर रहे हैं..?
स्कूल शिक्षा के लिए हैं, बच्चे सीखते हैं, किताबों से, प्रायोगिक तरीकों से...। आज प्रकृति और वन्य जीव खतरे में हैं... समझना मुश्किल है कि कैसे बचेंगे...? हमें सही अंकुरण बच्चों में करना होगा... आपने इस तरह जीवों की प्रतिकृति अनेक स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों पर देखी होंगी...। हम बो रहे हैं बच्चों के विचारों में कि इन प्रतिकृति में कचरा भर सकते हैं...।
बच्चों को समझाईये
सोचिए वह किन उदाहरणों और सबकों के साथ बड़ा होगा... और ऐसे में वह प्रकृति और वन्य जीवों के प्रति कितना सकारात्मक होगा... समझना मुश्किल नहीं है...। हम कोमल मन पर जो लिखेंगे वही हमेशा के लिए छप जाएगा... और हम उन्हें यह क्यों बता रहे हैं कि इनके पेट कचरा भरने को हैं... बेहतर होता कचरा पेटी बिना शक्ल के ही होती...। ऐसा मत कीजिए। बच्चों को समझाईये और यह प्रतिकृति रखिए लेकिन इसलिए कि इन्हें संरक्षित करना है, इन्हें बचाना है...।
बच्चे अबोध होते हैं लेकिन हम पढ़े लिखे हैं... सोचिए कि कुछ तो भी सिखाया तो पीढ़ियां कचरा. हो जाएंगी फिर ढोते रहिएगा उन्हें बर्बाद प्रकृति के बीच बेदम बनाकर...।
6 Comments
बहुत खूब, सुंदर और सामयिक।
ReplyDeleteआभार आपका ओंकार जी।
Deleteआभार आपका कामिनी जी..।
ReplyDeleteआभार आपका जैसवाल जी...। आपने उचित कहा है।
ReplyDeleteचिंतनीय विचारणीय विषय है।
ReplyDeleteविचारों से ही समाज और बचपन गढ़ता है...। आभार आपका
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