हमारे समाज को समझना होगा
यह तस्वीर मौजूदा दौर की सबसे खरी अभिव्यक्ति है, हममें से हरेक इसी तरह तो जी रहा है...। हरेक अंदर से गहरे मंथन में हैं, वृक्ष पर बिना पत्तों की शाखें हैं, पक्षियों के समाज में हमसे जुदा कुछ होता है, वे साक्षी होते हैं और बदलावों को आत्मसात भी करते हैं, लेकिन धैर्य नहीं खोते... शाख और वृक्ष नहीं छोड़ते, अकेले नहीं उड़ते, एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध... ओह यह सब हमें, हमारे समाज को समझना होगा।
पक्षी शांत रहते हैं
कितना अंतर है दो जीवात्माओं में...हम इंसान होकर बेसब्र हो उठते हैं और पक्षी शांत रहते हैं जबकि दोनों उसी प्रकृति में जीते हैं।
ऐसे भी परिंदे है
वे अब तक मौसम बदलने में भरोसा रखते हैं और हम कहीं न कहीं अंदर से हार रहे. हैं, बेजान हो रहे हैं...सोचिएगा कि सूखी शाखें कितनी भयभीत करती होंगी, बावजूद इसके कोई शिकायत नहीं। आपने देखा होगा कि ऐसे भी परिंदे है जो सूखे वृक्षों पर ही घौंसला बनाते हैं, नवजीवन को सृजित करते हैं, वे मौसम के बदलने की राह देखते हैं... हरियाली को देख उस सूखे वृक्ष का त्याग नहीं करते बल्कि उसे हरा होने का हौंसला देते हैं...। समझिए तो जीवन है न समझे तो सूखने वाले एक दिन सूख जाएंगे और जिन्हें हरा होना है वह उम्मीद को जीवित रखते हैं...।
संदीप कुमार शर्मा,
संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
16 Comments
जीवन के प्रति गहन विचार रखा है । इंसान ज़्यादा ही बेसब्रा हो चला है । न तो इंतज़ार करता है न प्रयास । आपका यह बेहतरीन लेख कल की हलचल पर होगा ।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका आदरणीया संगीता जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका
Deleteगहन चिन्तनपरक एवं विचारणीय लेख ।
ReplyDeleteउम्मीद को जीवित रखना ही जीवन है।
जी बहुत आभार आपका
Deleteप्रकृति का नियम है उम्मीद और जीवन एक दूसरे पर आधारित होते हैं पर मनुष्य सबकुछ पा लेने की होड़ में प्रकृति पर आधिपत्य जमाकर उसका दोहन करता जाता है उसे चिड़ियों की तरह सूखे वृक्ष में हरियाली की आस नहीं दिखती बल्कि उसे सूखे पेड़ में जलावन दीखता है।
ReplyDeleteगहन भावाभिव्यक्ति सर।
सादर।
जी बहुत आभार आपका
Deleteप्रकृति संरक्षण को समर्पित आपकी रचनाधर्मिता को नमन ।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका
Deleteशानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका
Deleteगहन सोच गहन शोध! बहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका
Deleteसार्थक सन्देश प्रकृति के संरक्षण हेतु !!
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका
ReplyDelete