दोस्तों प्रकृति में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, न समय पर बारिश है, कहीं है तो कहीं सूखा ही रह गया, अगस्त आधा बीतने को है लेकिन तापमान कम नहीं हो रहा है और मौसम चक्र तो पूरी तरह से गड़बड़ हो चुका है। पर्वतीय हिस्सों में पहाड़ खिसक रहे हैं, हिमाचल और उत्तराखंड में गंभीर हालात हैं, साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में अतिवृष्टि भी चिंता बढ़ा रही है...और हम विकास को लेकर सरपट भाग रहे हैं...ऐसे में क्या होगा और कैसा होगा भविष्य, क्या करें कि इन संकटों पर हम जीत दर्ज कर सकें....।
राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ का सितंबर माह का अंक ‘जलवायु परिवर्तन, भूस्खलन, अतिवृष्टि’ पर केंद्रित रहेगा। इस महत्वपूर्ण अंक के लिए आलेख आमंत्रित हैं।
आप आलेख/संबंधित विषय पर रचनाएं 20 अगस्त तक मेल कर सकते हैं...।
लेखन वाले साथियों को शेयर कीजिएगा
दोस्तों यदि आप प्रकृति का संरक्षण चाहते हैं तो लिखिये और अपने लेखन से जुड़े साथियों तक इस संदेश को शेयर कीजिएगा। हमारा उददेश्य बेहतर अंक निकालने का है जो संबंधित विषय की प्रबलता से आवाज बन सके।
संदीप कुमार शर्मा
प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
ईमेल- editorpd17@gmail.com
मोबाइल/व्हाटसऐप- 819190361
3 Comments
सुन्दर कार्य संदीपजी, शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका आदरणीय पाण्डेय जी।
ReplyDeleteलिखिये सर यदि संबंधित विषय पर बेहतर समझें तो...।
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