Ad code

अपने रंग में मस्त

ये रंग प्रकृति के हैं और जीवन के भी...पहचानिये कौन सा रंग आप जैसा लगता है। कितना अच्छा होता कि ये रंग, ये पत्तियां और फूल कभी अपने मन की कह पाते...कभी ये भी पता चले कि इन्हें भी कोई और रंग पसंद है, लेकिन मुझे यहां कोई आपाधापी नहीं लगती, कोई अस्थिरता भी नहीं। शांत चित्त और अपने रंग में मस्त...। उम्र के साथ इनका रंग भी पक जाता है, भूरे होकर ये जब नीचे गिरने लगते हैं तो शरीर झुर्रीदार हो जाता है और पसलियां सख्त...। बावजूद इसके कोई शोर और कोई शिकायत नहीं होती...। प्रकृति ने जो दिया उसे स्वीकार कर ये सहर्ष आते हैं और खुशी से कूच भी कर जाते हैं...दुख तो वृक्ष को होता ही होगा जब कोई पत्ता उसपर उम्र बिताने के बाद झरकर जमीन पर आ जाता है, वो उसे टकटकी लगाए देखता रहता है कि बेहतर हो कि इस सूखे पत्ते को अधिक से अधिक समय छांव मिल जाए...। 

Post a Comment

0 Comments

Comments