हिमखंडों का टूटना वैश्विक चिंता का विषय हमेशा रहा है, मौजूदा दौर में अंटार्कटिका का एक विशाल हिमखंड दुनिया की चिंता बढ़ा रहा है हालांकि यह कई सालों पर पहले टूटकर अलग हुआ था लेकिन स्थिर था, अब तेजी से आगे जलीय मार्ग पर आगे बढ़ने लगा है। विशाल हिमखंड A23a के टूटने ने विश्व को तभी चौंकाया था और अब भी जबकि यह स्थिरता से हटकर आगे की ओर बढने लगा है, इसी कारण सभी का ध्यान इसी ओर है, जैसा कि जानकारी मिली है कि यह हिमखंड 1986 में टूटकर अलग हुआ था, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अंटार्कटिका के गतिशील बर्फ परिदृश्य में यह एक महत्वपूर्ण घटना है। विश्व के सबसे बड़े माने जाने वाले इस विशाल हिमखंड में नाटकीय परिवर्तन आया है, जिससे इसके संभावित पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं। 

नजर रखी जा रही है

यह एक चिंताओं को बढ़ाने वाली खबर है, हिमखंड का टूटकर अलग होना और उसकी मौजूदा स्थिति भी खतरा बढ़ाने वाली ही है। इस घटना पर वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा बारीकी से नजर रखी जा रही है, इस विघटन को उपग्रह इमेजरी के माध्यम से देखा गया है, इस घटना ने समुद्र के स्तर और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं। 

न्यूयॉर्क शहर के आकार का तीन गुना 

हाल ही में ये एक बार फिर चर्चाओं में है क्योंकि सेटेलाइट से मिली तस्वीरों से कुछ नया खुलासा हुआ है, अब तक की जानकारी के मुताबिक एक लाख करोड़ टन वजनी यह हिमखंड बीते काफी सालों स्थिर था, लेकिन जो जानकारी वैज्ञानिकों को मिली है उसके अनुसार यह बर्फीली चट्टान अब तेज हवाओं और धाराओं की मदद से अंटार्कटिका प्रायद्वीप के उत्तरी सिरे की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पर्यावरण विज्ञानी इस बदलाव को समुद्री जीवों, छोटे द्वीपों के लिए बड़े खतरे के तौर पर देख रहे हैं। हिमखंड आकार की विशालता इसी से पता चलती है कि यह न्यूयॉर्क शहर के आकार का तीन गुना और ग्रेट लंदन के आकार का दोगुना बताया जा रहा है। 

ये खतरे हैं

हालाँकि A23a के टूटने से ऐसे विशिष्ट क्षेत्र हैं जो पिघलते हिमखंडों के कारण बढ़ते जोखिम का सामना करते हैं। दक्षिणी महासागर में तटीय क्षेत्रों और शिपिंग मार्गों को इन हिमखंडों से बढ़ते खतरों से दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से जहाजों के साथ टकराव हो सकता है। इसके अतिरिक्त, गर्म पानी में हिमखंडों के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर निचले तटीय क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। यहां यह भी जानकारी है कि शिपिंग लेन में हिमखंडों की बढ़ती संख्या समुद्री नेविगेशन के लिए चुनौतियां पैदा करती है। यह भी जानकारी है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) सुरक्षित नेविगेशन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करके इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। 

यह कहा जाना अभी आसान नहीं है कि यह कब तक और कितना वृहद संकट का कारण बनेगा लेकिन आशंका लगाई जा रही है कि जलीय जीवों और क्षेत्र के छोटे द्वीपों के लिए संकट आना लगभग तय है। जानकारी यह भी है विश्व के तमाम पर्यावरणविद इस घटना पर चिंतित हैं और इस दिशा में बेहतर क्या होता सकता है उसे लेकर वैश्विक मंथन भी चल रहा है।



संदीप कुमार शर्मा, संपादक, प्रकृति दर्शन 


(फोटोग्राफ सिंबालिक, साभार फ्री पिक)