ईश्वर से कामना है हमें शब्दों का आलोक चाहिए लेकिन आशुतोष जी का...। उनके शब्दों का, उनके चिंतन का...। आशुतोष हो जाना आसान नहीं है लेकिन उनके आलोक को हासिल करना और उसके तेज को आत्मसात करना भी ईश्वर का ही आशीष है..।
मैं हमेशा से कहता हूँ कि आशुतोष को समझने के लिए मन का आशुतोष होना अनिवार्य है लेकिन ये भी महसूस करता हूँ कि उनके चिंतन के शाब्दिक चेहरे का आभा मंडल भी परम सत्ता की भांति ही दमकता है...। हम उनका अभिनय देखें लेकिन हमें यदि चरित्र निर्माण पर गहन होना है तो उन्हें पढ़ना होगा....। आपका लेखन आपकी पहचान है, उसके भाव और गहन चिंतन जीवन के दर्शन से रूबरू कराते हैं।
हम कहीं ठहर जाना पसंद करते हैं जब भी कोई लेखन हमें अपनी सी अनुभूति करवाता है। हम शब्दों में जीने वालों को एक मौन हमेशा से अपनी ओर खींचता रहा है, लेखन की प्रेरणा बनता रहा है...। आपका लेखन मौन की भावाव्यक्ति है...। आशुतोष होकर लिखना और गहन हो जाना आसान नहीं है, लेकिन हमें आपके माध्यम से आशुतोष सा शाब्दिक मौन हमेशा मिलता रहा है, हमें ये आलोक सतत चाहिए और हम अपने भीतर आशुतोष को गहरे तक जगह दे चुके हैं। हम खुशनसीब हैं जो हमारी पीढ़ी को आशुतोष राणा मिले हैं...और यह सदी भी धन्य है जो रामराज्य की गवाह बनी है...। खूब शुभकामनाएं आदरणीय #AshutoshRana भाईसाहब....। ईश्वर आपसे गहन लेखन करवाता रहे....।
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