सुबह कभी खेत में फसल के बीच क्यारियों में देखता हूँ तो तुम्हारी बातों के सौंधेपन के साथ जिंदगी का हरापन भी नज़र आ ही जाता है...। सोचता हूँ मुस्कान और हरेपन में कोई रिश्ता है तभी तो दोनों एक नेक समाज को गढ़ते हैं। फसल की क्यारी के बीच मिट्टी की महक घर की तरह होती है। घर और खेत की मिट्टी में एक मानवीय रिश्ता है जो केवल महकता है और महसूस किया जा सकता है...। कभी उस मिट्टी पर पैरों को गहरे गढ़ाकर खूब खेला करते थे, बारिश में बचपन के वो कच्चे मकान आज तक टिके हैं...। मन उन बचपन के कच्चे घरों में आज भी बसता है, तुम्हें बताऊँ क्योंकि तुम जीवन का हिस्सा हो और मिट्टी भी हमारे जीवन अहम भाग है...। आओ बचपन के घर तक घूम आते हैं, दोनों...क्या पता बचपन के साथी भी रास्ते में मिल जाएं...। तुम बतियाती रहना क्योंकि वो हरापन लिए होता है...। खेत पर टहलते हुए कुछ यादें अब भी महकती हैं...।
25 Comments
बहुत ही सुंदर .. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteअनंत शुभकामनाएं
जी आभार आपका सीमा जी...। ब्लॉग आपकी वजह से संभव हो पाया है सदा आपका आभारी रहूंगा।
Deleteगूगल फालोव्हर कको गेजेट लगाइए
ReplyDeleteसादर
जी यशोदा जी...। आभार आपका और आपका सहयोग भी प्रार्थनीय है।
Deleteगूगल फालोव्हर का गेजेट लगाइए
ReplyDeleteजी यशोदा जी...।
Deleteब्लॉग सेटिंग कीजिए
ReplyDeleteहर किसी को नहीं दिखेगा
जी
ReplyDeleteSensitive Content Warning
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I UNDERSTAND AND I WISH TO CONTINUE... I do not wish to continue
कृपया सेटिंग में जाकर.इसकी सेटिंग करें।।
जी अवश्य।
Deleteयशोदा जी अब तक आपका बहुत सहयोग मिला है, लेकिन एक और सहयोग चाहिए कि मैं दूसरे साथी ब्लॉगर की पोस्ट देख पा रहा हूं लेकिन उन्हें कमेंट नहीं कर पा रहा हूं...कैसे संभव हो पाएगा कृपया मार्गदर्शन कीजिएगा....। आभार आपका
Deleteकवितानुमा आलेख..
ReplyDeleteसादर..
आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत आभार आपका...। सहयोग बनाए रखियेगा।
Deleteबहुत बढ़िया लिखा सर। आपको बधाई।
ReplyDeleteबहुत आभार आपका सर।
Deleteबहुत ही भावपूर्ण लेख है संदीप जी. माटी की महक से सराबोर मन का संवाद और सुंदर उद्बोधन बहुत रोचक और भावों से भरा हुआ है.
ReplyDeleteरेणु जी बहुत आभार...। सहयोग बनाए रखियेगा।
Deleteअपनी ओर आकर्षित करती हुई आपकी लेखनी हेतु बधाई।
ReplyDeleteबहुत आभार पुरुषोत्तम जी। सहयोग बनाए रखियेगा।
Deleteअति सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत आभार शांतनु जी। सहयोग बनाए रखियेगा।
Deleteवाह सचमुच गद्य में पद्य जैसी सरस अनुभूति।
ReplyDeleteसौंधी माटी जैसी।
स्वागत है आपका अपनों के बीच।
सुंदर सृजन।
बहुत आभार। सहयोग बनाए रखियेगा।
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