ये उत्तर भारत की ठंड भी ना बहुत अजीब होती है, कुछ दिन तो ऐसे बीतते हैं जैसे हम सब दक्षिणी ध्रुव के निवासी हैं...। कहा जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर जाना और रहना आसान नहीं, ऐसा ही कुछ उत्तर भारत में भी होता है। तुम कहती हो पहाड़ की ठंड अच्छी होती है क्योंकि कोहरा नहीं होता और धूप निकलती है... और मैं कहता हूँ हमारे जमीनी हिस्से भी ऐसे नहीं हैं... उत्तर भारत को छोड़कर..। अब क्या किया जाए तो ये करें कि आओ छत पर चलो थोड़ा मोटा शाल ओढ़़कर...हाथ में छतरी ले चलेंगे और कोहरे को छतरी में बटोरकर लोहे के कनस्तर में बंद कर देंगे...। कोहरे को चीरकर हम अपने हिस्से का सूर्य खोज लाएं...। हम जमीन में गहरे उतरकर पानी खोज लाते हैं... तो टनल बनाकर अपने हिस्से का सूर्य और धूप भी तो खोज ही सकते हैं...। तुम मेरी इस बात पर मुस्कुरा उठी क्या तुम्हें लगता है कि हम ठंड में उत्तर भारत के निवासी जैसे लगते हैं... इतने कपड़े और इतनी ठंड...ओह...सहन नहीं होती... और मुस्कुराते हुए चाय बढ़़ाते हुए कहती हो चलो दक्षिणी ध्रुव पर ही सही चाय का आनंद लो...और हम सहज ही उस.भीड़ का हिस्सा हो जाया करते हैं...।
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