जिंदगी में गुड़ हो जाना आसान नहीं लेकिन जरूरी है। बहुत तपने के बाद गुड़ एक नई शक्ल और पहचान पाता है। तपने के बाद जिस तरह उसे घोटा जाता है वो जिंदगी के अनुभवों जैसा ही ज्ञान है। आप जब बेहतर होकर निकलेंगे तभी आपकी मिठास किसी के गले उतर पाएगी। गुड़ खुद कुछ नहीं होता ---गन्ने का सार ही गुड़ हो जाता है, गुड़ अगर मूर्तरूप है तो गन्ना उसका बीज बिन्दु है। गन्ना जब अपनी मूल अवस्था में होता है तब उस पर सूख जाने और खराब हो जाने का खतरा मंडराता है लेकिन जब वो गुड़ हो जाता है तब अमरत्व की स्थिति में होता है। जिंदगी भी हमें गुड़ बनाना चाहती है, उसके हरेक इम्तेहान पर खरा उतरें, समय की हम पर की गई मेहनत और हमारा समय पर भरोसा कभी भी जाया नहीं जाता----तो दोस्तों गुड़ हो जाएं।
1 Comments
वाह👌👌 गुड सी मीठी सीख देता मिठास भरा लेख 👌👌👌
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